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जब देंगे हम कुछ बयां और / सांवर दइया
Kavita Kosh से
जब देंगे हम कुछ बयां और।
होंगे लोग कुछ उरियां और।
यहां से बच निकले तो क्या,
सामने मिलेंगे वहां और।
बगावत पे हैं दबी सांसें,
बचकर जायेंगे कहां और?
वहां बुझा दी तो क्या हुआ,
जल उठी, लो आग यहां और!
दम न घुटे, सबको मिले हवा,
आओ कि बसायें जहां और।