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जब दो पैर जमीन में डूबे हों / स्वाति मेलकानी
Kavita Kosh से
जब दो पैर जमीन में डूबे हों
और कीचड़ में सने हाथ
रोपते हों धान।
तब
ऊँचे माथे के
ठीक नीचे
दो चमकदार आँखें
देखती हों तारे।
दो होंठ मुसकाते हों
मिट्टी और तारों के बीच।
यह भी हो सकता है
जीने का तरीका।
कि ये दो हाथ
दो पैर
आँखें
और होंठ
एक ही इंसान के हों।