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जब फ़क़ीरों पे ध्यान देगा वो / मनोहर विजय
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जब फ़क़ीरों पे ध्यान देगा वो
रोटी कपड़ा मक़ान देगा वो
प्यार का इम्तिहान देगा वो
मिस्ल-ए-परवाना जान देगा वो
छेड़ कर मेरे इश्क़ का चर्चा
शहर को दास्तान देगा वो
दिल की बातें ब्यान करने को
गूंगों को भी ज़ुबान देगा वो
ज़ालिमों होश में ज़रा आओ
बेज़ुबाँ को ज़ुबान देगा वो
शौक़-ए-परवाज़ लाज़िमी है ‘विजय’
फिर तुझे भी उड़ान देगा वो