भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जब भी उनसे मुलाकात होगी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
जब भी उनसे मुलाक़ात होगी
बस निगाहों में ही बात होगी
भीग जायेंगे दोनों अजाने
भावनाओं की बरसात होगी
सूर्य सिर पर भले तप रहा हो
दोपहर में घिरी रात होगी
प्यार की बाजियाँ हैं अनोखी
जीत में ही छिपी मात होगी
दफ़्न हो जायेंगे दर्द सारे
ऐसी खुशियों की बारात होगी