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जब मैं नष्ट हो जाऊँगी / रोज़ा आउसलेण्डर
Kavita Kosh से
जब नष्ट हो जाऊँगी मैं
चमकता रहेगा सूर्य तब भी
चलता रहेगा संसार-चक्र
अपने नियमों के अनुरूप
एक केन्द्र के चारों ओर
जिसे कोई नहीं जानता l
जगमगाती रहेगी हमेशा
कामिनी
बिखरता रहेगा बर्फ़ का
सफ़ेद प्रकाश l
जब मैं आगे बढ़ जाऊँ
अपनी भूली हुई पृथ्वी से
तब क्या तुम बोलोगे
मुझसे मेरा शब्द
थोड़ी देर के लिए ?
मूल जर्मन भाषा से प्रतिभा उपाध्याय द्वारा अनूदित