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जब मैं मर जाऊँगी, प्रिय ! / हालीना पोस्वियातोव्स्का
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जब मैं मर जाऊँगी, प्रिय
जब छोड़ दूँगी यह दुनिया
बन जाऊँगी चीज़ वह बेचारी, जिसे सँभाल नहीं पाए तुम ।
तुम मुझे हथेली पर उठा लोगे
और इस पूरी दुनिया से छुपा लोगे
पर क्या तब बदल सकोगे तुम भाग्य को ?
मैं तुम्हारे बारे में सोचती हूँ
मैं तुम्हें पत्र लिखती हूँ
मेरी भोली बातों में रहता है मेरा प्यार ।
सारे ख़त मैंने वे छुपा रखे हैं चूल्हे में
हर पंक्ति में उनकी आग छुपी है
जब तक मैं सो नहीं जाती इस अकेलेपन की राख में ।
प्रिय, देखती हूँ लपट को और सोचती हूँ
क्या होगा मेरे इस बेचैन मन का
जो चाहता है तुझे ?
तुम मुझे मेरे प्रिय
मरने नहीं दो इस दुनिया में
जो इतना ठंडी है, काली है, मेरे दर्द की तरह ।
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय