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जब ये शब्द भी भोथरे हो जाएंगे / गिरधर राठी
Kavita Kosh से
चोर को कहा चोर
वह डरा
थोड़े दिन
डरा क्योंकि उस को पहचान लिया गया था
चोर को कहा चोर
वह ख़ुश हुआ
बहुत दिनों तक रहा ख़ुश
क्योंकि उसे पहचान लिया गया था
फिर छा गया डर
क्योंकि चोर आख़िर चोर था
बोलने वालों के हाथ सिर्फ़ हाथ थे
हाथ भी नहीं केवल मुँह थे
मुँह ही नहीं केवल शब्द थे
शब्द भी नहीं
केवल शोर...
चोर! चोर!!