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जब वह आ जाती है / विनोद विट्ठल

डाक की ग़लती से आ जाए कोई प्रेम-पत्र
सुख के मनीऑर्डर पर भगवान हमारा पता लिख दे
एकाध मौसम की चोरी के कारण बसन्त को एकाएक आना पड़े

रविवार और दिनों से दुगुना बड़ा हो
हमारे जागने से पहले मुर्गे और सूरज भी सुस्ताते रहें
हम चाबी भरना भूलें और सारी घड़ियाँ बन्द हो जाएँ

आप विश्वास करें वह क्षण आता है
एक बार हमारे जीवन में — शताब्दी के पहले दिन की तरह
लम्बे इन्तज़ार के बाद ही सही
जब वह आ जाती है