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जब से अखबार पुरानी खबर सा लगता है / मधुप मोहता

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जब से अखबार पुरानी खबर सा लगता है
दिल नए दोस्त बनाने से भी डरता है

जब से पहचाना वो शोख फितरतन कातिल है
जी उसके ताने ,बहाने से भी डरता है

जब से जाना कि अश्क ही इश्क का हासिल है
दिल उस अहसास पुराने से भी डरता है

जब से समझा है कि हर ख्वाब टूट जाता है
वो शख्स, आँख लगाने से भी डरता है

उसकी मासूम अदा है, तेवर है या नजाकत है
वो मुझ से नज़रें मिलाने से भी डरता है