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जब से गई है माँ मेरी / कुलवंत सिंह
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जब से गई है माँ मेरी रोया नहीं.
बोझिल हैं पलकें फिर भी मैं सोया नहीं.
ऐसा नहीं आँखे मेरी नम हुई न हों,
आँचल नहीं था पास फिर रोया नहीं.
साया उठा है माँ का मेरे सर से जब,
सपनों की दुनिया में कभी खोया नहीं.
यादें न मिट जाएं मेरे दिल से कहीं,
बीतें हैं बरसों मन कभी धोया नहीं.
चाहत है दुनिया में सभी कुछ पाने की,
पायेगा तूँ कैसे वो जो बोया नहीं