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जमाने को इतने भी प्यारे न होंगे / रंजना वर्मा
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जमाने को इतने भी प्यारे न होंगे
अगर साँवरे के सहारे न होंगे
कन्हैया पकड़ ले जो पतवार मेरी
तो तूफ़ान के ये नज़ारे न होंगे
पुकारा है शिद्दत से घनश्याम तुमको
तुम्हें लोग ऐसे पुकारे न होंगे
न पूछे कोई चाँदनी रात को ग़र
चमकते गगन में सितारे न होंगे
मिला वक्त जो भी है हँस कर बिता लो
पता क्या कि हम कल तुम्हारे न होंगे
ढलेगी उमर वक्त आयेगा वह भी
कि जब ज़िन्दगी के इशारे न होंगे
जिये हैं सदा दर्द की बस्तियों में
चलो अब जहाँ ग़म के मारे न होंगे