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जमाने में जरा सबसे जुदा हूँ मैं / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
दूसरों से ज़रा जुदा हूँ मैं
जो नहीं की वही खता हूँ मैं
अश्क़ आंखों में छुपाये रखती
मुस्कुराहट का सिलसिला हूँ मैं
मैं ग़ज़ल हूँ न कोई अफ़साना
एक भूला हुआ क़ता हूँ मैं
प्यार से ग़र मिलो मुहब्बत हूँ
वरना नफरत का जलजला हूँ मैं
दोस्त का हूँ हसीन नज़राना
दुश्मनों के लिये सज़ा हूँ मैं
रूह का अक्स रूबरू कर दे
बस वही सच का आइना हूँ मैं
तीरगी तार-तार करने को
एक जलता हुआ दिया हूँ मैं