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जम्हूरियत के साथ ही भारत की शान है / ईश्वरदत्त अंजुम
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जम्हूरियत के साथ ही भारत की शान है
छब्बीस जनवरी है बड़ा दिन महान है
सारे जहाज में इस की अनोखी ही शान है
मशहूर कुल जहान में हिंदुस्तान है
आजादिए-वतन का है शैदा हर इक बशर
अपने वतन पे सब की निछावर ये जान है
हरगिज़ ये बरतरी में किसी से नहीं है कम
मेहनत कशी में आगे सभी से किसान है
मिल जुल के कर रहे हैं हिफाज़त वतन की सब
अफ़ज़ल मगर सभी से तो फौजी जवान है
जंगल, पहाड़, खेत हैं, दरिया भी हैं रवां
ये देश वो है जिस पे ख़ुदा मेहरबान है
'अंजुम' निगाहे-बद से बचाये इसे ख़ुदा
किस दर्जा दिल-नशीं ये तिरंगा निशान है।