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जयप्रकाश सेठिया रै जलम दिन पर / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
ओ आज जलम रो दिन थारो
त्यौहार जगत रो बण ज्यावै,
ओ आज जळम रो दिन थारो
सिणगार बगत रो बण ज्यावै,
तूं तेजवान बण सूरज सो
धरती सी छाती आळो बण,
तूं कुळ री काण, उजाळो बण,
तूं हीरो मिनखां मालो बण,
मै सुणूं जगत री जीभ कवै
ओ जयप्रकाष कीं लायक है,
ओ पढ्यो गुण्यो पर-उपगारी
हर दीन दुखी रो पायक है,
तो समझूं थारो जळम सफल
तूं दीपै लो इतिहासां में,
आशीष मिलै ली जण जण री
जस छावै लो आकासां में।