जय-ध्वनि / बुद्ध-बोध / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
ज्योतिर्मयक ज्योतिसँ जगमग जय जय भारतवर्ष
जनिक वचन-किरों आलोकित अनुजताक उत्कर्ष
हय हे बुद्ध!् शुद्ध शोधित जातक जन्मान्तर योग
शत-शत बान चढ़ैछ कनक चमकैछ विशेष प्रयोग।।44।।
जन्मस्थली लुम्बिनी, बोधस्थली गया अभिधान
सारनाथ जत प्रथम चक्र संचालित धर्म महान
जीवनधारा अन्त कुशीनारा पुनि पावन धाम
बौद्ध तीर्थ अछि विदित विश्वमे पुनि-पुनि करी प्रणाम।।45।।
धन्य समय ओ देश अनन्यहु भेल अवतरण पाबि
भारतभूमिक महिमा-गरिमा पूजित युग - युग भावि
कोटि - कोटि मानवता विश्वक धर्मभूमि हित आबि
हिन्दक वसुन्धराकेँ पूजथि विश्वगुरुक यश गाबि।।46।।
धन्य मास वैशाख पूर्णिमा तिथि इतिहास-प्रसिद्ध
जनम मरण साधना प्रथम उपदेश समय जे सिद्ध
कपिलवस्तु ओ मगध - गया गिरिबज वैशाली धन्य
सारनाथ श्राबस्ती बस्ती बज्जि विहार अनन्य।।47।।
बुद्ध धम्मं संघं शरणं यामि मन्त्र सुव्यक्त
पंचशील पुनि अहँक व्याप्त एखनहुँ नवयुगहु प्रसक्त
मार्ग अहँक अष्टांग प्रमाणित, रत्नचतुष्टय सिद्ध
कोना चेतना? त्याज्य-ग्राह्य की? की नहि अँहक प्रसिद्ध।।48।।