जय गाँव जाने वाला रास्ता / जय छांछा
आकाश का रंग उधार मांगकर
नीले रंग में बहने वाली टिस्टा
आसपास के हरे जंगल और
ज़मीन ना छोडने वाले चाय के पौधे
विशाल भवन, झोपडियाँ
निर्जन, बस्ती और शहर
सभी को निमिषभर मिलते और छोड़ते
निरंतर यात्रा में जुटा हुआ हूँ मैं
जय गाँव पहुँचने के लिये ।
जय गाँव कोई अद्भुत स्थान नहीं है
जय गाँव नहीं पहुँचा तो कुछ बिगड़ जाएगा ऐसा भी नहीं है
फिर भी जय गाँव होकर ही भूटान आता है भारत में
जय गाँव हो कर ही भारत जाता है भूटान में ।
किसे क्या पता ?
कितनों के सपने साकार हुए होंगे
जय गाँव को छुकर
कितनों के भविष्य अंधकार में डूबे होंगे
जय गाँव पहँचकर ।
दूसरों का क्या हुआ, क्या नहीं हुआ
लेकिन ख़ुद को अंधकार होने से पहले ही
पहुँचना है जय गाँव
इसलिए डुवर्स, भूटान रोड, हाँसिमारा
नेताजी सुभाष रोड होकर बढ़ते हुए
मुस्कुराते हुए देखी ऊँची संपन्नता
चौडे रास्तों पर दौड़ते देखा विकास को
अभी और कितनी खींची जानी हैं भविष्य में सुनहली रेखाएँ
काग़ज़ के खाली पन्ने जैसे जय गाँव की छाती पर।
यात्रा में कोई शिथिलता नहीं है
शायद गोधूली आगे ही पहुँच जाऊँगा मैं जय गाँव
और देखूँगा आमने-सामने
फिन्सोलिंङ गेट और जय गाँव को
और उन दोनों के बीच में बैठकर खिचूँगा फोटो
विभाजित आकाश और ज़मीन पर
मुझे पता ही नहीं चलेगा
किधर होगी वह ज़मीन जिसे मैंने छुआ, और
किधर होगा वह आसमान जिसे ओढ़ूँगा मैं ?
मूल नेपाली से अनुवाद : अर्जुन निराला