भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जय मगध / कृष्णदेव प्रसाद

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जयति जयति मगध देस।
जयति जगति मगध देश॥1॥

सिन्धु मेखला वसुन्धराधिकार।
बोधिसत्व शान्तिपाठ सूत्रधार।
सेलूकस के मान चूर करनिहार।
मन के दे गड़ल विरोग के बिसार॥2॥

हे संसार के सिंगार
कभिं इजोर कभिं अंधर
विपद से न जीउ हार
अप्पन दीआ तनि नेस॥3॥