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जय हिन्द / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
हिंद फौज़ का स्वतन्त्र वीर
गिरि, समुद्र, वन विशाल चीर,
मृत्यु-द्वार-सा मिला समीर,
आफ़तें कठिन, चरण रुके न
पंथ पर, सदा बढ़े प्रवीण !
मुक्त राष्ट्र का सप्राण गीत,
जागरण प्रकाश में अतीत,
पर्व है महान, यह पुनीत,
हिन्द की विजय सही, जहान
रूप बन चला स्वयं नवीन !