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जरूरी था तूफान / सरोज कुमार
Kavita Kosh से
तूफान बहुत जरूरी था
समुंदर में!
बड़ी-बड़ी मछलियों के गिरोह
उत्पात में मशगूल थे,
सतहें भूल चुकी थी
अपने ताल्लुकात
गहराइयों से!
न ज्वार,ज्वार रहे थे
न भाटे,भाटे!
ऐसे में प्रकृति
अपना जीवन कैसे काटे!
तूफान ने
खंगाल कर समुंदर को
भीतर से बाहर तक
हिला दिया,
जिसका जो छीना था
दिला दिया!
उभर रहें द्वीपों को
ढहा दिया,
मरी हुई सीपों को
बहा दिया!
तूफान बहुत जरूरी था
समुंदर में!
तूफान बहुत जरूरी है
जरूरत में!