भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जर्मन युद्ध प्रवेशिका / बैर्तोल्त ब्रेष्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक

बड़े लोगों के लिए
खाने का ज़िक्र छोटी बात है ।
इसका मतलब है कि वे
खा चुके हैं ।

छोटों को धरती से जाना है
बिना लजीज़ गोश्त का
स्वाद लिए हुए ।

उनमें ताक़त नहीं रह जाती
यह सोचने की कि कहाँ से वे आए हैं और
कहाँ उन्हें जाना है,
सुहानी शामों के दौरान ।

ऊँचे पर्वत और विशाल समुद्र
देखने का उन्हें मौक़ा ही नहीं मिला
जबकि उनका वक़्त ख़त्म हो चला है ।

छोटे लोगों को अगर
छोटी बातों की फ़िक्र न हो
वे कभी बड़े नहीं बनेंगे ।

दो

भूखों की रोटी खाई जा चुकी है
गोश्त क्या होता है लोगों को पता नहीं । बेकार ही
जनता ने पसीना बहाया है ।
पुन्नाग के बाग
उजड़ चुके हैं ।
हथियारों के कारख़ानों की चिमनियों से
धुआँ निकल रहा है ।

तीन

रंगसाज़<ref>हिटलर अपनी युवावस्था में चित्रकार बनना चाहता था, लेकिन नाकाम रहा। ब्रेष्त उसे कलाकार के बदले पेण्टर यानी दीवार वग़ैरह रंगनेवाला रंगसाज़ कहते हैं।</ref> आनेवाले महान समय की बात करता है
जंगल फैल रहे हैं अभी ।
खेत लहलहाते हैं अभी ।
शहर साबुत हैं अभी ।
इंसान सांस लेते हैं अभी ।

चार

कैलेण्डर में अभी उस दिन का ज़िक्र नहीं है.
सारे महीने, सारे दिन
अभी ख़ाली पड़े हैं । इनमें से
एक दिन पर निशान लगाया जाएगा ।

पाँच

कामगार चीख़ते हैं रोटी की ख़ातिर.
व्यापारी चीख़ते हैं बाज़ार की ख़ातिर.
बेरोज़गार भूखे थे । अब
भूखे हैं काम करनेवाले ।
अब तक गोद में धँसे बेकार हाथों में फिर से हरकत है :
वे बारूद के गोले बना रहे हैं ।

छह

जो मेज़ पर से गोश्त छीन लेते हैं
वे सन्तोष की सीख देते हैं ।
जिनके लिए पूजा चढ़ाई जानी है
वे त्याग की माँग करते हैं ।
छककर खा चुकनेवाले भूखों को बताते हैं
उस महान समय के बारे में, जो कभी आएगा ।
जो साम्राज्य को सर्वनाश के कगार पर ले जा रहे हैं,
कहते हैं — शासन चलाना बेहद कठिन है
आम आदमी के लिए ।

सात

ऊपरवाले कहते हैं : शान्ति और युद्ध
अलग-अलग चीज़ों से बने हैं ।
लेकिन तुम्हारी शान्ति और तुम्हारा युद्ध
हवा और तूफ़ान जैसे है ।
युद्ध तुम्हारी शान्ति से पैदा होता है
माँ की कोख से बेटे की तरह ।
उसके होते हैं
माँ की तरह भयानक नाक-नक़्श ।
तुम्हारा युद्ध सिर्फ़ उसे ख़त्म कर डालता है
जो तुम्हारी शान्ति ने
रख छोड़ा था ।

आठ

रंगसाज़ जब लाउडस्पीकर से शान्ति पर भाषण देता है
सड़क बनानेवाले सड़क पर नज़र डालते हैं
और देखते हैं
घुटने की गहराई तक कंक्रीट
भारी टैंकों की ख़ातिर ।

रंगसाज़ शान्ति की बात करता है ।
दुखती पीठ सीधी करते हुए
तोप की नली पर अपने भारी हाथ टिकाकर
लोहा ढालनेवाले उसकी बात सुनते हैं ।

बमवर्षक के पायलट मोटर बन्द करते हैं
और सुनते हैं —
रंगसाज़ शान्ति की बात कर रहा है ।

पेड़ काटनेवाले खड़े-खड़े सुनते हैं ख़ामोश जंगल में
किसान हल चलाना बन्द करते हैं और कान खड़े कर लेते हैं
औरतें रुक जाती हैं, जिन्हें खेत पर खाना पहुँचाना है :
अधजुते खेत में लाउडस्पीकर लगी एक गाड़ी खड़ी है । वहाँ से
सुनाई देता है कि रंगसाज़ शान्ति की बात कर रहा है ।

नौ

जब ऊपरवाले शान्ति की बात करते हैं
मामूली लोगों को पता होता है
कि युद्ध होगा ।
जब ऊपरवाले युद्ध की निन्दा करते हैं
लामबन्दी के आदेश पर दस्तख़त हो चुके होते हैं ।
ऊपरवालों की
एक कमरे में बैठक हो रही है ।
सड़क पर आम आदमी की
सारी उम्मीदें ख़त्म हो चुकी हैं ।

दस

युद्ध जो आने वाला है
वो पहला युद्ध नहीं है । उससे पहले भी
दूसरे युद्ध हो चुके हैं ।
पिछला ख़त्म हुआ
तो कुछ विजेता रहे बाकी पराजित ।
पराजितों के बीच मामूली लोग
भूखे रहे । विजेताओं के बीच भी
भूखे रहे मामूली लोग ।

ग्यारह

चिथड़ी कमीज़वाले इंसान :
कपड़ों के कारख़ानों में
बुनते हैं वे तुम्हारे लिए एक कमीज़
जिसे चीथड़ा तुम नहीं करोगे ।
तुम जो काम पर जाते हो घण्टों पैदल चलकर
फटे हुए जूतों में : वो गाड़ी
जो तुम्हारे लिए बन रही है, उसमें
फौलादी चादर है ।
अपने बच्चों के लिए दूध जुटाने की ख़ातिर
ढालते हो तुम बड़ा सा बोतलनुमा बर्तन
जो दूध के लिए नहीं है । कौन
उससे पीएगा ?

बारह

दीवार पर खड़िया से लिखा था :
युद्ध होना चाहिए !
जिसने लिखा था
वह खेत रहा ।

तेरह

ऊपरवाले कहते हैं :
यह गौरव की बात है.
नीचे वाले कहते हैं :
यह क़ब्र की बात है ।

चौदह

युद्ध जो आने वाला है
वो पहला नहीं है । उससे पहले भी
दूसरे युद्ध हो चुके हैं ।
पिछला ख़त्म हुआ
तो कुछ विजेता रहे बाकी पराजित ।
पराजितों के बीच मामूली लोग
भूखे रहे । विजेताओं के बीच भी
भूखे रहे मामूली लोग ।

पन्द्रह

ऊपरवाले कहते हैं, सेना के बीच
भाईचारे का राज है ।
यह सच है कि नहीं, तुम देख सकते हो
खाने के कमरे में ।
सबके दिल में
एक सी हिम्मत होनी चाहिए । लेकिन
थालियों में
दो तरह के खाने ।

सोलह

जब कूच का समय आता है, बहुतों को पता नहीं होता
कि दुश्मन उनकी पहली पाँत में चल रहा है ।
वो आवाज़, जो उन्हें हुक़्म देती है
दुश्मन की आवाज़ है ।
वो, जो दुश्मन की बात कर रहा है
ख़ुद दुश्मन है ।

सत्रह

जनरल, तुम्हारा टैंक एक मज़बूत गाड़ी है ।
रौंद सकता है जंगल को और पीस डालता है सैकड़ों इंसानों को ।
लेकिन उसमें एक कमी है :
उसे एक ड्राइवर चाहिए ।

जनरल, तुम्हारा बमवर्षक मज़बूत है ।
तूफ़ान से तेज़ उड़ सकता है और हाथी से भी ज़्यादा ढो सकता है ।
लेकिन उसमें एक कमी है :
उसे एक मेकेनिक चाहिए ।

जनरल, इंसान बड़े काम का है ।
वह उड़ सकता है और जान ले सकता है ।
लेकिन उसमें एक कमी है :
वह सोच भी सकता है ।

अट्ठारह

युद्ध जब शुरू होगा
शायद तुम्हारे भाई बदल जाएँगे
उनके चेहरे पहचानने लायक नहीं रहेंगे ।
लेकिन तुम्हें वैसा ही बने रहना है ।

वे लाम पर जाएँगे, यूँ नहीं
कि किसी कसाईख़ाने की ओर, बल्कि
मानो कि कोई क़ायदे का काम हो । सबकुछ
वे भूल चुके होंगे ।
लेकिन तुम्हें कुछ भी नहीं भूलना है ।

तुम्हारे हलक में वे जलती शराब उड़ेल देंगे
दूसरों के गले भी तर होंगे ।
पर तुम्हें होश में रहना है ।

उन्नीस

रंगसाज़ कहेगा, कहीं कुछ मुल्क जीते गए हैं
लेकिन तुम अपनी रसोई में बैठे होगे, वहाँ
जहाँ मामूली साग पक रहा होगा ।
रंगसाज़ कहेगा
वह एक क़दम भी पीछे नहीं हटेगा
और तुम काग़ज़ जैसे जैकेट को टटोलोगे ।
जब वहाँ जीत के घण्टे बजेंगे
तुम्हें अपने नुक़सान का हिसाब लगाना होगा ।

बीस

ढिंढोरची जब अपना युद्ध शुरू करेगा
तुम्हें अपना युद्ध जारी रखना है ।
सामने उसे दुश्मन दिखेंगे, लेकिन
जब वह पीछे मुड़कर देखे, उसे
वहाँ भी दुश्मन दिखने चाहिए :
जब वह अपना युद्ध शुरू करेगा
चारों ओर उसे दुश्मन ही दुश्मन दिखने चाहिए ।
उसके एस० एस०<ref>विरोधियों को कुचलने के लिए बनाया गया नाज़ी सिपाहियों का कुख्यात दल</ref> के गुर्गों के खदेड़े हुए
जो वहाँ कूच कर रहे हैं
उन्हें उसके खिलाफ़ कूच करना चाहिए ।

बूट फटे होंगे, लेकिन अगर
वे मज़बूत चमड़े के भी बने हों,
उन्हें पहनकर कूच करने वाले उसके दुश्मन होने चाहिए ।
खाने को तुम्हें कम ही मिलेगा, लेकिन अगर ज़्यादा भी मिले
तुम्हें वह जायकेदार नहीं लगना चाहिए ।

एस० एस० के उनके गुर्गों की नींद हराम कर दो ।
ताकि उन्हें हर बन्दूक जाँचनी पड़े
कि वह भरी हुई है या नहीं, हर जाँचने वाले को
उसे जाँचना पड़े कि वे जाँचते हैं या नहीं ।

जो कुछ उसके पास जाए, वह बरबाद होना चाहिए और
जो कुछ उससे मिले, उसके खिलाफ़ उनका इस्तेमाल हो ।

जो उसके खिलाफ़ लड़ता है, वह हिम्मतवाला है ।
जो उसके इरादों को नाकाम करे, वह होशियार है ।
सिर्फ़ जो उससे लड़ता है, वही जर्मनी का मददगार है ।

मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य

शब्दार्थ
<references/>