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जल्दी जल्दी हँसो / गीत गुंजन / रंजना वर्मा

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जल्दी जल्दी हँसो कि जीवन थोड़ा है॥

आँखों में आकाश पलक पर गंगाजल
चुनरी में अनुराग सहेज रहा आँचल।
राग भरे नैनों में ठिठक गये कुछ पल ,
पहरों की बंदिशें बहाती हैं काजल।

नेह मेह रस रसो कि सावन थोड़ा है।
जल्दी जल्दी हँसो की जीवन थोड़ा है॥

अमर प्रेम रस पगों चाँदनी रातें हैं ,
सपनों की मदिरा बरसाती बातें हैं।
सघन मेघ से चंद्र किरण की घातें हैं ,
नील गगन में तारों की बारातें हैं।

गहरे गहरे धँसो कि यौवन थोड़ा है।
जल्दी जल्दी हँसो कि जीवन थोड़ा है॥

सच्चा लगता जब तुम कहते छाया है ,
मैं तू तेरे की निज पर की माया है।
मछुआरे ने अपना जाल बिछाया है ,
हर मछली को लालच ने भरमाया है।

इतना तो मत फँसो कि भोजन थोड़ा है।
जल्दी जल्दी हँसो कि जीवन थोड़ा है॥