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जल्दी ही सब ठीक हो जायेगा / आनंद कुमार द्विवेदी
Kavita Kosh से
जल्दी ही सब ठीक हो जाएगा
मन भर लेगा
किसी न किसी तरह
खाली जगह
गढ़ लेगा हज़ारों बहाने
बिखरे पड़े रह जायेंगे मगर
कभी न भरने वाले
सन्नाटे और …
उनमें बजने वाली तुम्हारी पदचापें,
जितनी बार तुम याद आओगे
हर बार कुछ न कुछ
छनाक से टूटेगा
धमनियों में गड़ेंगी किरचने
रिसेगा लहू बदन के अंदर
होंठ मुस्कराकर
बार बार बोलेंगे झूठ
मन फिर फिर जुगाड़ में लगेगा
किसी आदर्श में ढकने को
अपनी हार,
ऐसे में बहुत काम की लगेंगी
जीवन, कर्तव्य, धर्म और न्याय की सुनी सुनाई बातें
हृदय हर बार चीखेगा
रोयेगा छटपटायेगा
जीवन निःसार हो जायेगा
मगर.…
जल्दी ही सब ठीक हो जायेगा