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जल भरन कैशी जाऊंरे / मीराबाई

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जल भरन कैशी जाऊंरे। जशोदा जल भरन॥ध्रु०॥
वाटेने घाटे पाणी मागे मारग मैं कैशी पाऊं॥ज० १॥
आलीकोर गंगा पलीकोर जमुना। बिचमें सरस्वतीमें नहावूं॥ज० २॥
ब्रिंदावनमें रास रच्चा है। नृत्य करत मन भावूं॥ज० ३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। हेते हरिगुण गाऊं॥ज० ४॥