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जवानी के इन दिनों में / विजय गौड़
Kavita Kosh से
बचपन के उन दिनों में
नहीं रहा उतना बच्चा
जितना खरगोश
जितनी गिलहरी
जितना धान का पौधा
जवानी के इन दिनों में
नहीं हूँ इतना जवान
जितना गाय का बछड़ा
अमरूद का पेड़
फिर बु़ढ़ापे के उन दिनों में
कैसे होऊँगा ऐसा बू़ढ़ा
जितना बरगद का पेड़ ।