बचपन के उन दिनों में
नहीं रहा उतना बच्चा
जितना खरगोश
जितनी गिलहरी
जितना धान का पौधा
जवानी के इन दिनों में
नहीं हूँ इतना जवान
जितना गाय का बछड़ा
अमरूद का पेड़
फिर बु़ढ़ापे के उन दिनों में
कैसे होऊँगा ऐसा बू़ढ़ा
जितना बरगद का पेड़ ।
बचपन के उन दिनों में
नहीं रहा उतना बच्चा
जितना खरगोश
जितनी गिलहरी
जितना धान का पौधा
जवानी के इन दिनों में
नहीं हूँ इतना जवान
जितना गाय का बछड़ा
अमरूद का पेड़
फिर बु़ढ़ापे के उन दिनों में
कैसे होऊँगा ऐसा बू़ढ़ा
जितना बरगद का पेड़ ।