भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जवान हो रही लड़की -एक / कमलेश्वर साहू
Kavita Kosh से
जब छोटी थी
मां की हंसी
पिता की खुशी में शामिल थी
अब
सयानी हो गई है
मां की चिंता में शामिल
पिता को बेचैन किए है
लड़की !