भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जवाब देने के बदले वो शक्ल देखते हैं / आरज़ू लखनवी
Kavita Kosh से
जवाब देने के बदले वे शक्ल देखते हैं।
यह क्या हुआ ,मेरे चेहरे को, अर्ज़ेहाल के बाद॥
अदाशनास निगाहों ने ऐसा कुछ देखा।
जवाब की न तमन्ना रही सवाल के बाद॥
नातवां बीमारे-ग़म, उस पर थपेडे मौत के।
बुझ गया आख़िर चिरागे़-सुबह लहराने के बाद॥