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जश्न है हर सू , साल नया है / सतपाल 'ख़याल'

 
जश्न है हर सू , साल नया है
हम भी देखें क्या बदला है

गै़र के घर की रौनक है वो
अब वो मेरा क्या लगता है

दुनिया पीछे दिलबर आगे
मन दुविधा मे सोच रहा है

तख्ती पे 'क' 'ख' लिखता वो-
बचपन पीछे छूट गया है

नाती-पोतों ने जिद की तो
अम्मा का संदूक खुला है

याद ख्याल आई फिर उसकी
आँख से फिर आँसू टपका है

दहशत के लम्हात समेटे
आठ गया अब नौ आता है