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जहरवा खैबइ ना / सतीश मिश्रा

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बर बउराह हम कबहूँ न परिछब
हम जहरवा खैबइ ना
शिव से गौरी न बिआहब
हम जहरवा खैबइ ना
लोटे जउन देहिआ पर नगवा-नगिनिआँ
भूत-बैताल जेकर संगिया संगिनिआँ
सेकरा जमाय कह के कइसे उतारब
हम जहरवा खैबइ ना
शिव से गौरी न बिआहब
हम जहरवा खैबइ ना
बसहा सवार कोई दुलहा न सुनली
रूप-रंग देखली त डरे आँख मुनली
बुढ़वा के सौंप गौरी कुइआँ में न डालब
हम जहरवा खैबइ ना
गउरी नगीना दुलहिन, दुलहा ठठरिआ
बेटी न हम्मर कउनो अनगढ़ मोटरिआ
कउन कमी के चलते अइसे निबाहब
हम जहरवा खैबइ ना-
शिव से गौरी न बिआहब
हम जहरवा खैबइ ना
सिरिस के फूल ऊपर बाज न बोलैबइ
गौरी के हाथ शिव के हाथ न धरैबइ
-जान-बूझ बेटी के न जिनगी तबाहब
हम जहरवा खैबइ ना-
शिव से गौरी न बिआहब
हम जहरवा खैबइ ना