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जहाँ शब्द होते हैं / इला कुमार

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जहाँ शब्द होते हैं
और
देह नहीं जादू
वहाँ जाने की इच्छा लिए
वह लम्बे सफ़र पर निकल पडती है

हाथ में
लाठी-गठरी
कुछ भी नहीं

दूर के सफ़र के वास्ते
उसने शरीर को भी गिरवी रख दिया है
पृथ्वी के पास !!