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जहाँ शीशे तराशे जा रहे हैं / बी. आर. विप्लवी

जहाँ शीशे तराशे जा रहे हैं
वहीं पत्थर तलाशे जा रहे हैं

कुआँ खोदा गया था जिनकी ख़ातिर
वही प्यासे के प्यासे जा रहे हैं

कहाँ सीखेंगे बच्चे जिद पकड़ना
सभी मेले तमाशे जा रहे हैं

जिन्हें महफ़िल में ढूँढा जाएगा फिर
वही मेरी बला से जा रहे हैं