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जहिया ओ इतिहास सुनौलक / कामिनी कामायनी

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जहिया ओ इतिहास सुनौलक
रोम रोम बरछी बनि मारल
केहेन आगि मे जरि रहल छी
कोन मूह स कथा कहु आब?
तपत बौल मे तड़ैप रहल छी
अपन परती खेत पड़ल छल
मुदा बाध अनकर लहरायल
अपन सपना बेच रहल ओ
हम्मर किम्हरो मूह नुकायल
भांति भांतिक भइज लगाकऽ
सब तर छल दाना छिड़ियौने
मुसुकि मुसुकि कऽ नमरि नमरि कऽ
चान देखा कऽ जिह ललचौने
बान्हि देल गरदनि पर टाइ
गरा मिलल छल बनिक भाइ
पड़ा रहल छल तैयो मुड़ि कऽ
भाखा केँ मोटका जौरसँ बान्हल
चिचिया कऽ /घिसिया कऽ कहलक
अहि सँ केना आब तो बचमे
अहि जौर के काटि ने सकबे
परचम हमर सदा लहरायत
अपन आब बचल कतय किछु
सबटा पच्छिम हड़पि रहल अछि