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ज़ख़्मों पर आज मरहम लगाने की बात कर / बल्ली सिंह चीमा
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ज़ख़्मों पर आज मरहम लगाने की बात कर ।
ये फ़ासले दिलों के मिटाने की बात कर ।।
तूफ़ान कैसे आया ये बातें फ़िज़ूल हैं,
उजड़े हुए घरों को बसाने की बात कर ।
अपनों ने तुझको लूटा ये कहने से लाभ क्या,
जो कुछ बचा है उसको बचाने की बात कर ।
झूठी बहुत है दिल्ली, ये कहते हैं सब लोग,
ये झूठ है तो वादे निभाने की बात कर ।