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ज़बरदस्त उबकाई की घड़ी / बैर्तोल्त ब्रेष्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य

चूँकि मुझे अब पसन्द नहीं रह गई 
यह दुनिया ।

और ख़ासकर हैरानी से मैं देखता हूँ 
इनसान नाम के इस जीव को, मैं 
जिसकी तरह हूँ, ख़ासकर यह जीव 
मुझे बेहद नापसन्द है। ख़ुद मेरा अपना वजूद भी, 
मान लेता हूँ मैं, मुझे पसन्द नहीं और इसलिए और 
दूसरी वजहों से भी, जिनका मुझे पता नहीं 
चाहता हूँ एक अरसे से, भाग जाना इस दुनिया से और 
ख़ुद अपने-आप से 

और चाव से मैं 
कूद पड़ता। चमकती ठण्डी घड़ी में, 
बिना कुढ़न, क्योंकि मैं 
पस्त हूँ, और चाहता हूँ, 
दूर हो जाना 
बिना अहसास के। 
                                    
रचनाकाल : 1924

मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य