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ज़मीन से दूर / शहरयार
Kavita Kosh से
इस ख़ला से ज़मीं का हर गोशा
जितना दिलकश दिखाई देता है
उसने ख़्वाबों में भी नहीं देखा
वह नहीं आएगा ज़मीन पे अब।