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ज़रा-सी बात पे रिश्ता नहीं तोड़ा जाता / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
ज़रा-सी बात पे रिश्ता नहीं तोड़ा जाता
कभी टूटे तो उसे प्यार से जोड़ा जाता
निराश हैं जो ज़िंदगी से उनसे कहना है
कभी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा जाता
ख़ता ज़़ुबाँ करे मगर सजा मिले सर को
कभी पत्थर कभी दीवार पे फोड़ा जाता
बड़ा सरस है वो मासूम है मुलायम भी
तभी फलों की तरह उसको निचोड़ा जाता
दिलों के टूटने के वाक़्यात देखें हैं
मगर भरोसे को ऐसे कहीं तोड़ा जाता