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ज़रा ठहरो / नीलेश रघुवंशी

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ज़रा ठहरो
इस मकान की पहली बरसात
याद आ गई घर की ।

छोटे भाई-बहनों को न निकलने की
हिदायत देती हुई

जल्दी-जल्दी बाहर से कपड़े
समेट रही होगी माँ ।

पिता चढ़ आए होंगे छत पर
भाई निकल गया होगा
साइकिल पर बरसाती लेने ।

पानी ज़रा ठहरो छत को ठीक होने दो
ले आने दो भाई को बरसाती ।