नहीं बचाना हरा रंग 
जो बोने पर उगे 
फिर वही फसल 
नहीं बचाना गुलाबी रंग 
जो फिर एक बार 
प्रेम की आंच पर तपे
एक एक कर 
करना है हर रंग को निष्कासित 
सारा खेल ही रंगों का तो है 
और इस बार 
रंगहीन बनाना है आसमां
जो तुम्हारी बनायीं लकीरों को काट सके 
और कोशिश के पायदान चढ़ती गयी 
मगर फिर भी 
हर नकार की प्रतिध्वनि में भी जाने कैसे हर बार जरा सी बचती रही औरत
ओ खुद को उसका भाग्यविधाता बताने वाले 
भविष्य बचाने को 
ये जरा सी बची औरत का बीज गर संभाल सको तो संभाल लेना 
भविष्य सुना है अनिश्चित हुआ करता है