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ज़वाले-शब में किसी की सदा निकल आये / इरफ़ान सिद्दीकी

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ज़वाले- शब् में किसी की सदा निकल आये
सितारा डूबे सितारा-नुमा निकल आये

अजब नहीं कि ये दरिया नज़र का धोका हो
अजब नहीं कि कोई रास्ता निकल आये

ये किसने दश्ते-बुरीदा की फसल बोई थी
तमाम शहर में नख़्ल-दुआ निकल आये

बड़ी घुटन है, चराग़ों का क्या ख़याल करूँ
अब इस तरफ कोई मौजे-हवा निकल आये

खुदा करे सफे-सरदारगाँ न हो ख़ाली
जो मैं गिरूँ तो कोई दूसरा निकल आये