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ज़हरीली हवा / दिनेश जुगरान
Kavita Kosh से
अनेक रंगों के धब्बे
अलग-अलग चेहरे बनकर
दीवारों पर टंगे दीखते हैं
पिछली रात
जरूर कोई ज़हरीली हवा
टकराई होगी पेड़ों से
ढेर सारे पत्ते
सड़कों पर
बिछे दीखते हैं