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ज़िंदगी जितना तू चाहे मुझे परेशान करके देख / राजेश चड्ढा
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ज़िंदगी जितना तू चाहे मुझे परेशान करके देख,
घटा दे उम्र मेरी सुन, उसी के नाम करके देख ।
गुनाह मैंने किया है, हाँ मोहब्बत करके देखी है,
जफ़ा का ज़िक्र क्या करना वफ़ा बदनाम करके देख ।
मैं कब कहता हूँ ज़ख़्मों की कोई मरहम बनाकर दे,
हादसे ख़ुद तलाशेंगे मुझे बेनाम करके देख ।
सहर जब होने को होती है मुझे तब नींद आती है,
मुझसे बात करनी हो, शाम मेरे नाम करके देख ।
हँसते खेलते ये लोग तेरा गिरेबान क्यूँ थामें,
मेरे दुख जागते हों उस घड़ी आराम करके देख ।