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ज़िद है / उमा शंकर सिंह परमार
Kavita Kosh से
उन्हे सब कुछ
बदल देने की ज़िद है
आपको
हमको
और उन्हे भी जो
गर्भ मे पल रहे हैं
भूमिकाएँ
तथ्य
भंगिमाएँ
और इतिहास
उन्हे सब कुछ
बदल देने की जिद है
दो पैर
दो हाथ
एक सिर वाले
समूचे आदमी को
आदमख़ोर बना
देने की ज़िद है
उन्हे सब कुछ
बदल देने की ज़िद है