भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ज़िन्दगी आपको सौंप दी है / बलबीर सिंह 'रंग'
Kavita Kosh से
ज़िन्दगी आपको सौंप दी है
आपकी बन्दगी और क्या है?
सबकी महफ़िल में जा पहुँचते हो
‘रंग’ तुममें कमी और क्या है?
हम मुक़ामे फु़गाँ बना लेंगे
दर्द को दरमयाँ बना लेंगे
चन्द तिनकों की बात है, अए दोस्त
दूसरा आशियाँ बना लेंगे
कोई ग़म से न तंग आ जाये
ऐसा जीने का ढंग आ जाये
रंग पर उसकी आ गयी महफ़िल
जिसकी महफ़िल में ‘रंग’ आ जाये