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ज़िन्दगी इस तरह से बिता दीजिये / हरकीरत हीर

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ज़िन्दगी इस तरह से बिता दीजिये
फूल बंज़र ज़मीं में खिला दीजिये

ज़िन्दगी तो मिली चार दिन की हमें
खुद हँसे ग़ैर को भी हँसा दीजिये

जिस धरा ने हमें ज़िन्दगी की अता
अब लगा पेड़ कर्जा चुका दीजिये

जिसके दम पर है क़ायम ज़मीं आसमां
उस ख़ुदा को नहीं यूँ भुला दीजिये

बाद माँ के झुको तो ख़ुदा के झुको
सबके आगे न सर यूँ झुका दीजिये

हीर कीमत भी समझा करो आप ही
हर किसी पे न ख़ुद को लुटा दीजिये