Last modified on 19 जुलाई 2020, at 22:33

ज़िन्दगी का गीत गाना पड़ गया / कैलाश झा 'किंकर'

ज़िन्दगी का गीत गाना पड़ गया
मुझको बचपन से कमाना पड़ गया।

एक आँधी आ गयी परिवार में
उजड़े घर को फिर बसाना पड़ गया।

कामयाबी जब मिली तो क्या कहूँ
मेरे पीछे ही ज़माना पड़ गया।

था हिफ़ाज़त में लगा वह आजतक
क्या हुआ जो ज़ह्र खाना पड़ गया।

एक गलती हो गयी थी भूल से
इसलिए सिर को झुकाना पड़ गया।

बोलते ऐसे कि होते सब ख़फ़ा
आईना उनको दिखाना पड़ गया।