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ज़िन्दगी का मोल / रजनी मोरवाल
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ज़िन्दगी का है नहीं कुछ मोल
हो सके तो प्रेम इसमें घोल
मौसमों से माँग ले तू रंग कुछ न्यारे
आसमाँ की चाँदनी से सुरमयी तारे
रात-दिन फिर
ख़ुशबुओं में टोल
दुख है जग में कि तू अव्वल बना फिरता
और सबको हेय कह पाग़ल बना फिरता
है अहं की नाव
डावाँडोल
रूप दौलत धन भवन क्या काम के तेरे
मित्र रिश्ते शोहरत बस नाम के तेरे
मोह का संसार
सारा गोल
उम्र की अंन्तिम घड़ी अब आ रही प्यारे
साँस काया की रुकी अब जा रही प्यारे
बोल दो मीठे
अरे! तू बोल