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ज़िन्दगी कितनी ख़ूबसूरत है / मोहम्मद इरशाद
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ज़िन्दगी कितनी ख़ूबसूरत है
सब को इससे बड़ी मुहब्बत है
बाँट दें कैसे इसको दुनिया में
गम हमारा, हमारी दौलत है
ज़िस्म पाना ही एक मकसद है
इस ज़माने की ये मुहब्बत है
बात-बेबात रोने लगता है
ये तो उसकी पुरानी आदत है
सच को सच कहने से जो डरता है
ऐसे इंसान पे तो लानत है
तुम भी ‘इरशाद’ का कहा सुन लो
ज़िन्दगी मुल्क की अमानत है