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ज़िन्दगी क्या है कभी दिल मुझे समझाए तो / मोहसिन नक़वी

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ज़िन्दगी क्या है कभी दिल मुझे समझाए तो
मौत अच्छी है अगर वक़्त पे आ जाये तो

मुझ को जिद है के जो मिलना है फलक से उतरे
उस की ख्वाहिश है दामन कोई फैलाये तो

कितनी सदियों की रफ़ाक़त, मैं उसे पहना दूँ
शर्त यह है वो मुसाफिर कभी लौट आये तो

धूप “मोहसिन” है ग़नीमत मुझे अब भी लेकिन
मेरी तन्हाई को साया मेरा बहलाए तो