भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ज़िन्दगी क्या है कभी दिल मुझे समझाए तो / मोहसिन नक़वी
Kavita Kosh से
ज़िन्दगी क्या है कभी दिल मुझे समझाए तो
मौत अच्छी है अगर वक़्त पे आ जाये तो
मुझ को जिद है के जो मिलना है फलक से उतरे
उस की ख्वाहिश है दामन कोई फैलाये तो
कितनी सदियों की रफ़ाक़त, मैं उसे पहना दूँ
शर्त यह है वो मुसाफिर कभी लौट आये तो
धूप “मोहसिन” है ग़नीमत मुझे अब भी लेकिन
मेरी तन्हाई को साया मेरा बहलाए तो