ज़िन्दगी तेरी कहानी भी कहानी है कोई / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
ज़िन्दगी तेरी कहानी भी कहानी है कोई
तुझपे आई है मगर ये भी जवानी है कोई
मैंने तो मान लिया तुझको सभी कुछ अपना
ये बता दे तेरा दिलबर तेरा जानी है कोई
अपने किरदार से औरों की बना दे पहले
बात बिगड़ी हुई अपनी जो बनानी है कोई
अस्थियाँ दे दीं दधीची ने सभी इन्दर को
उससे बढ़कर भला संसार में दानी है कोई
ढूंढता है वो कई रोज से वीरान ज़मीं
क़त्ल करके उसे फिर लाश दबानी है कोई
ले के ख़त उसने कहा हँस के मेरे क़ासिद से
उनका पैगाम तेरे पास जबानी है कोई
तेरा दावा है उसे तुझसे मुहब्बत थी बहुत
क्या तेरे पास मुहब्बत की निशानी है कोई
लिखने वाले मेरी क़िस्मत के बता दे मुझको
मेरी क़िस्मत में भी क्या रूप की रानी है कोई
ये हक़ीक़त है तेरे शे'र तो अच्छे हैं 'रक़ीब'
ये जो शे'रों में रवानी है रवानी है कोई