भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ज़िन्दगी भर समारोह ज़िन्दगी के / हेमन्त शेष
Kavita Kosh से
ज़िन्दगी भर
समारोह ज़िन्दगी के ख़त्म होते नहीं
पर ख़ुशी से
ज़िन्दा रहने को
हर दिन सवेरे
ढूंढना पड़ता है
उपलक्ष्य