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ज़िन्दगी मुझको कहाँ आज लिये जाती है / गुलाब खंडेलवाल


ज़िन्दगी मुझको कहाँ आज लिए जाती है!
दूर तक अब कोई आवाज़ नहीं जाती है

हाथ में उनके ही नाड़ी है, देखिये क्या हो
जिनके छू लेने से धड़कन मेरी बढ़ जाती है

कोई मिल जाता बहाना गले लगाने का
यों तो ख़ुशबू तेरी हर साँस में लहराती है

भूल कर नाम न ले कोई वफ़ादारी का
अब तबीयत मेरी इस नाम से घबराती है

लाख खिलते हों गुलाब आपकी आँखों में, मगर
अब निगाहों में वो ख़ुशबू नहीं मिल पाती है